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कबाड़खाना: February 2015
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Saturday, February 28, 2015. ऐसे बादल तो फिर भी आएँगे, ऐसी बरसात फिर नहीं होगी. उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान की एक और कम्पोजीशन प्रस्तुत कर रहा हूँ -. Labels: उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान. मेरे महबूब के घर रंग है री. होली आ रही है. आज से आपको चुन चुन कर संगीत के नगीने सुनाये जाएंगे. शुरुआत करते हैं बाबा नुसरत से -. Labels: उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान. रेलवे का तकिया मोटा करो. प्रोफ़ेसर रवि पाण्डे अपनी तीसरी पीढ़ी के साथ. रेल बजट से मेरी मांग. रवि पाण्डे. रवि पाण्डे. पीढ़ियाँ. एक नई पीढ़ी है. चकमक से आग. अद...
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यरूशलम से समुद्र तक और वापसी – येहूदा आमीखाई | शिरीष कुमार मौर्य
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अन न द क अन ष ग. यर शलम स सम द र तक और व पस – य ह द आम ख ई. यर शलम स सम द र तक और व पस. 1 ब द यर शलम स. ब द यर शलम स ख ल सम द र क तरफ़. म न क स वस यत क ख लन क तरफ़. म गय प र न सड़क पर. र मल ल स क छ पहल. सड़क क क न र अभ तक खड़ ह. ऊ च -ऊ च अज ब-स व म नघर. व श वय द ध म आध तब ह. वह व व म न क इ जन क ज च क य करत थ. ज नक श र च प कर द त थ स र द न य क. महज उड़न भर क उड़न क ई छ प ख ज न ह गय थ तब. म र प र ज वन क ल ए! म य त र करत ह. व बच रहत ह हम श. यह बह त आस न ह –. बढ़त ह ए प ड़ और घ स स भर ण क पह ड़ ढल न. और द सर तरफ़.
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कबाड़खाना: January 2015
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Saturday, January 31, 2015. आपका व्याकरण उनकी समझ की औक़ात से बाहर था, लक्ष्मण! संजय चतुर्वेदी. बातचीत में ही. संजय चतुर्वेदी. संजय जी को धन्यवाद. उनका लिखा पेश है -. अब आप मुक्तिदाता राम के पास हैं. वैसे भी मतान्तर और सहज विनोद के प्रति द्वेष और हिंसा से भरी यह दुनिया आपके अनुकूल नहीं रह गई थी. आपने आज़ाद हिन्दुस्तान की सबसे सच्ची. उठा-पटक को नापना बड़ा मुश्किल काम था. मुस्तनद बनाता है. उसकी दुआ आप तक पंहुच रही होगी. Labels: आर. के. लक्ष्मण. संजय चतुर्वेदी. लेकिन राजशाही क&...तीन साल की...आप कì...
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होकर भी नहीं होना..: February 2011
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होकर भी नहीं होना. क्योंकि अक्सर यहाँ होते हुये भी मैं यहाँ नहीं होता।. Sunday, February 6, 2011. नोट्स…. 2- उस दिन जब वो पारदर्शी काँच के उस पार थी, मैं उसे देख सकता था… उसे महसूस कर सकता था… उसके होठों को पढ सकता था… लेकिन हाथ बढाकर भी उसे छू नहीं सकता था…. कंप्लीटली इनकंप्लीट…. मेरे कुछ नोट्स ‘निर्मल‘. के लिये…. तस्वीर मानव के ब्लॉग. Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय). Links to this post. Labels: कुछ एं वें ही. निर्मल वर्मा. Subscribe to: Posts (Atom). इधर भी हैं अपन. अज़दकी अलमारी. वे दिन. एक आलसी ...
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लिंक रोड: जोधपुर वालों के ब्लॉग
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लिंक रोड. इतने सारे लिंक याद रखने के झंझट से मुक्ति. Monday, June 1, 2009. जोधपुर वालों के ब्लॉग. संजय व्यास. किरण राजपुरोहित. राकेश गांधी. Labels: जोधपुर. Me bhi jodhpur se hu .jodhpur walo ke blog me hamara naam kaise jude? June 2, 2009 at 10:12 PM. सिद्धार्थ जोशी Sidharth Joshi. This comment has been removed by the author. June 6, 2009 at 2:14 AM. प्रवीण जाखड़. Bhai ek khoji patrakaro ka blog bank bhi bana lo. June 10, 2009 at 11:23 AM. संदीप शर्मा. राजीव भाई,. June 14, 2009 at 12:59 AM. अक्R...
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लिंक रोड: June 2009
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लिंक रोड. इतने सारे लिंक याद रखने के झंझट से मुक्ति. Sunday, June 14, 2009. श्रीगंगानगर के ब्लॉग. कीर्ति राणा. लक्ष्मीकांत शर्मा. गोविन्द गोयल. तरुण शर्मा. Labels: श्रीगंगानगर. Monday, June 1, 2009. जोधपुर वालों के ब्लॉग. संजय व्यास. किरण राजपुरोहित. राकेश गांधी. Labels: जोधपुर. Subscribe to: Posts (Atom). कानूनी ब्लॉग. कार्टूनिस्ट. कॉमिक्स वाले ब्लॉग. गाजियाबाद. ग्वालियर. डूंगरपुर. तकनीकी ब्लॉग. नई दिल्ली. नयी दिल्ली. नेताओं के ब्लॉग. पर्यटन से सम्बंधित ब्लॉग. फोटो ब्लॉग. रांची. एक निवेदन. पाण...
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प्रतिभा की दुनिया ...: March 2015
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Tuesday, March 31, 2015. वो दिल जो मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था. तुम अपना रंज-ओ-ग़म, अपनी परेशानी मुझे दे दो. तुम्हे ग़म की कसम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो. ये माना मैं किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों में. बुरा क्या हैं अगर ये दुःख ये हैरानी मुझे दे दो. मैं देखूं तो सही दुनिया तुम्हें कैसे सताती है. कोई दिन के लिये अपनी निगेहबानी मुझे दे दो. वो दिल जो मैंने माँगा था मगर गैरों ने पाया था. Posted by Pratibha Katiyar. Friday, March 27, 2015. याद न आना कमाल है. इश्क बीते हुए लम&...आंखोæ...विर...
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प्रतिभा की दुनिया ...: April 2014
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Monday, April 14, 2014. इन सपनों को कौन गाएगा.अजेय. इसी संग्रह से कुछ टुकड़े -. सुविधाएं फुसला नहीं सकतीं. इन कवियों को. जो बहुत गहरे में नरम और खरे हैं. महसूस करो. वह शीतल विरल वनैली छुअन. कह ही डालो. वह सबसे कठिन कनकनी बात. आदिवासी बहनों के लिए). हम ब्यूंस की टहनियां हैं. रोप दी गई रूखे पहाड़ों पर. छोड़ दी गई बेरहम हवाओं के सुपुर्द. मुझे तुम्हारी सबसे भीतर वाली जेब से. चुराना है एक दहकता सूरज. कि कविताएं. धूल झाड़तीं. घूमती बतियाती नज़र आएं. और उड़ें कागज के जहाज बनकर. शीत देवता. Monday, April 7, 2014.
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प्रतिभा की दुनिया ...: May 2015
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Sunday, May 10, 2015. पीकू-कब्ज़ सिर्फ पेट का नहीं, जेहन का भी. अमतिाभ अपनी बेटी से कहते हंै कि क्यों शादी करनी चाहिए.इसलिए कि सब करते हैं.इसलिए कि किसी की केयर करनी है? चूंकि यह फिल्म समीछा नहीं है इसलिए फिल्म के दुसरे पछ पर कोई बात नहीं की, एक्टिंग, निर्देशन, कैमरा. Posted by Pratibha Katiyar. Labels: मेरे लेख. Monday, May 4, 2015. ओ दाढ़ीवाले. ओ दाढ़ीवाले,. जहाँ बता गए थे खड़े होने को उसी तरफ खड़ी हूँ. तमाम अनसुनी आवाजों को थामे. धूप और धूल के गुबार के बीच. ओ दाढ़ीवाले. Posted by Pratibha Katiyar. जि...
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प्रतिभा की दुनिया ...: January 2015
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Monday, January 26, 2015. जीवन कहीं खारिज न कर दे. क्यों इन शिक्षकों के भीतर उत्साह नहीं स्कूलों के खुलने का? क्यों मन में आतुरता नहीं अपने बच्चों से मिलने की, उनके सर पर हाथ फिराने की, उनके घर-परिवार के बारे में जानने की? क्यों उकताहट नहीं इत्ती लंबी छुट्टियों से? Posted by Pratibha Katiyar. Labels: मेरे लेख. Friday, January 23, 2015. हम ख़ुदा तुमको बना लेंगे, तुम आओ तो सही. तुमको हम दिल में बसा लेंगे, तुम आओ तो सही. मुमताज़ मिर्जा. Posted by Pratibha Katiyar. Labels: मेरी पसंद. रोज सुबह. Labels: मí...