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हलंत

Thursday, 31 October 2013. फटी डायरी के पन्ने. बेहद सरसरी तौर पर हम प्रेम का विज्ञान तो सीख लेते हैं किन्तु उन निर्मम अनुभवों को टटोलकर अलग कर देते हैं जोकि इस प्रेम सम्बन्ध की वास्तव में एकमात्र निधि हैं।. प्रस्तुतकर्ता. इस पोस्ट से संबंधित लिंक. Saturday, 4 May 2013. ब्रेख्त की तीन छोटी कविताएँ और मित्र की याद. समाधिलेख (१९१९)*. वह लाल गुलाब लापता है अब तक. कोई नहीं जानता कहाँ होगी वह देह. जब वह ग़रीबों को बता रही थी सच. टूटी रस्सी. एक गाँठ से. जुड़ तो जाएगी. एक बार फिर. मगर वहाँ. अपनी बात. रेड...

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Thursday, 31 October 2013. फटी डायरी के पन्ने. बेहद सरसरी तौर पर हम प्रेम का विज्ञान तो सीख लेते हैं किन्तु उन निर्मम अनुभवों को टटोलकर अलग कर देते हैं जोकि इस प्रेम सम्बन्ध की वास्तव में एकमात्र निधि हैं।. प्रस्तुतकर्ता. इस पोस्ट से संबंधित लिंक. Saturday, 4 May 2013. ब्रेख्त की तीन छोटी कविताएँ और मित्र की याद. समाधिलेख (१९१९)*. वह लाल गुलाब लापता है अब तक. कोई नहीं जानता कहाँ होगी वह देह. जब वह ग़रीबों को बता रही थी सच. टूटी रस्सी. एक गाँठ से. जुड़ तो जाएगी. एक बार फिर. मगर वहाँ. अपनी बात. रेड&#23...
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Thursday, 31 October 2013. फटी डायरी के पन्ने. बेहद सरसरी तौर पर हम प्रेम का विज्ञान तो सीख लेते हैं किन्तु उन निर्मम अनुभवों को टटोलकर अलग कर देते हैं जोकि इस प्रेम सम्बन्ध की वास्तव में एकमात्र निधि हैं।. प्रस्तुतकर्ता. इस पोस्ट से संबंधित लिंक. Saturday, 4 May 2013. ब्रेख्त की तीन छोटी कविताएँ और मित्र की याद. समाधिलेख (१९१९)*. वह लाल गुलाब लापता है अब तक. कोई नहीं जानता कहाँ होगी वह देह. जब वह ग़रीबों को बता रही थी सच. टूटी रस्सी. एक गाँठ से. जुड़ तो जाएगी. एक बार फिर. मगर वहाँ. अपनी बात. रेड&#23...

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हलंत: September 2010

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Thursday, 30 September 2010. थोड़ी सी उद्दिग्नता बची रहेगी ह्रदय में. आँखों मे बची रहेगी सुंदरता देखने की थोड़ी बहुत समझ. शब्दों में अर्थ खोजने की हिम्मत बची रहेगी. बची रहेगी. अभी कुछ दिन और जीने की इच्छा. थोड़ी सी उदासी बची रहेगी हँसी के साथ. उष्णता बची रहेगी स्पर्श में थोड़ी बहुत. शिशु की मुस्कान में बची रहेगी थोड़ी उम्मीद. और पुलक बची रहेगी एक लड़की की चुप्पी में. जब हम जानेंगे अभी बचा हुआ है. थोड़ा बहुत प्रेम हमारे आसपास. प्रस्तुतकर्ता. इस पोस्ट से संबंधित लिंक. Sunday, 26 September 2010. मगर सबसे अहम.

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हलंत: November 2009

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Sunday, 15 November 2009. दूसरा प्यार. दूसरे प्यार में नहीं लिखी जाती. पहली अर्थहीन प्रेम-कविता. पहला थरथराता चुंबन. नहीं लेता कोई दूसरे प्यार में. दूसरे प्यार के बारे में. नहीं लिखता कोई अभिज्ञान. और ना ही होता है शिला-लेखों में उसका वर्णन. दूसरा प्यार नहीं रखा जाता छुपाकर. बटुए की चोर-जेब में. क्या तुमने सुनी है. कोई किंवदन्ति दूसरे प्यार के बारे में. या किसी राजकुमारी की कहानी. जिसे मिला हो दूसरा राजकुमार. दूसरे प्यार के बीच. होता है महा-राशि जल. और एक टूटा हुआ पुल. वास्तव में. अपनी बात. दीव&#23...

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हलंत: June 2011

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Wednesday, 29 June 2011. एक कहानी का आरम्भ और अंत. John Denver had the ability to convey (love to be precise) more than the words in the song itself. You fill up my senses like a night in the forest. Like the mountains in spring time. Like a walk in the rain. Like a storm in the desert. Like a sleepy blue ocean. You fill up my senses, come fill me again. Come let me love you, let me give my life to you. Let me drown in your laughter, let me die in your arms. Come let me love you, come love me again.

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हलंत: February 2011

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Saturday, 19 February 2011. सन्नाटे में बेरंग तस्वीरें. पुराना पड़ रहा हूँ नए पानी के साथ. खाली बोतल उदासी का सबब है और आधी खाली हुई बोतल के बाकी हिस्से में उदासी छुटी रह जाती है…. गाय का गला या घर की दीवार, मेरे भीतर अनगिनत ध्वनियाँ हैं. रीत गया कुछ अभी बीता नही. तस्वीरों में रह गए लोग. होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे…. प्रस्तुतकर्ता. इस पोस्ट से संबंधित लिंक. लेबल फ़ोटोग्राफी. Tuesday, 15 February 2011. यूँही निर्मल वर्मा - 1. स्मृतियों से भी. पिक्चर-पोस्टकार्ड. का प्रोग्राम. जैसे एक झ&#2368...क्ष...

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हलंत: December 2010

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Wednesday, 29 December 2010. जर्मन सीखते हुए हिंदी कविता. जर्मन जानने बूझने वाले मित्रगण अपनी राय से ज़रूर अवगत कराएँ. पहले मूल हिंदी कविता फिर उसका जर्मन अनुवाद. प्रेम होगा तो हम कहेंगे कुछ मत कहो. प्रेम होगा तो हम कुछ नहीं कहेंगे. प्रेम होगा तो चुप होंगे हम. प्रेम होगा तो हम शब्दों को छोड़ आएंगे. रास्ते में पेड़ के नीचे. नदी में बहा देंगे. पहाड़ पर रख आएंगे।. Wenn es da Liebe gibt, sprechen wir nicht. Wenn es da Liebe gibt, vermeiden wir Wörter. Wenn es da Liebe gibt, schweigen wir. Auf der Straße,.

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वर्षा...यहां सुनाई देते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर: November 2014

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वर्षा.यहां सुनाई देते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर. ईरानी महिलाओं के संघर्ष और हम. गोवा में आयोजित 45वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में ईरानी फिल्म. द डे आई बिकम ए वुमन. आज़ादी की हवा में सांस लेने के लिए तड़प रही हों जैसे हमारी ईरानी दोस्तें।. माइ स्टेल्दी फ्रीडम. बातें भी बतायी हैं कि. बिना हिजाब पहने हुए उन्हें अपने बालों में हवा कितनी प्यारी लगी।. ग़ोन्चे ग़वामी. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: आज़ादी. ईरानी महिला. 8220; किस ऑफ लव. 8220; किस ऑफ लव. किस ऑफ लव.

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LAATA TIMES: August 2010

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Madness is busy in playing games with mind to violate the laws of conservation. Tuesday, August 31, 2010. काला सफ़ेद. देखा कि बाहर से झाँकते हुए. लम्बी कार के काले शीशों के. पीछे की दुनिया. कितनी सफ़ेद है।. लम्बाई की आड़ में. पहुँचने वाले काले गट्टों ने. सफ़ेद साये से पूछा,. दिखने के इस अंदाज को. सीखने से. क्यों हरवाना चाहता है।. सीखने ने दिखने से. नजर मिलाने को. इन्कार कर दिया और बोला,. देख, देख के बहुत सीख लिया. अब सीख, सीख के देख।. सफ़ेद शीशों के पीछे की. पहचान आने लगे।. नीरज मठपाल. अगस्त ३१, २०१०. सरक&#2...

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LAATA TIMES: September 2010

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Madness is busy in playing games with mind to violate the laws of conservation. Tuesday, September 28, 2010. सिन्दूरी लाल दिवाकर. केसरिया तिलक. हरित चित्र. टिमटिमाती चंद्ररात. भोर न हो. स्याह रात. नीरज मठपाल. सितम्बर २८, २०१०. Posted by Neeraj Mathpal. Labels: क्षणिका. Saturday, September 25, 2010. बर्तन सब साफ़ हैं. गले से लटकती हुई प्यासें. पेट से लटकती हुई भूखें. दरवाजे पर यूँ चलकर आती हुई भिन्डीयाँ. घी चुपड़ी पास बुलाती रोटीयाँ. थाली पर फैलती हुई दालें. नीरज मठपाल. सितम्बर २५, २०१०. सरकारो...फटी...

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LAATA TIMES: May 2012

http://neerajmathpal.blogspot.com/2012_05_01_archive.html

Madness is busy in playing games with mind to violate the laws of conservation. Saturday, May 19, 2012. उसकी बात. बैठे हुए उस तिपहिया वाहन में. उसने मुझे अकेला पाकर. कह दी अपने दिल की बात. जैसे उसके मन में कई दिन से छिपी हो वो बात. जैसे मन को हल्का करने को निकलनी जरूरी हो वो बात. हमें पता था कि वो उसे चाहता है. उसे भी पता था कि वो उसे चाहता है. हमारे दोस्तों को भी पता था वो उसे चाहता है. पर प्रश्न यही कि वो उसे क्यों चाहता है. उसने मुझे अकेला पाकर. कह दी उस उत्तर की बात. नीरज मठपाल. मई 18, 2012. सरक&#236...

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कविता के बहाने: ईश्वर की संताने

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. उडन तश्तरी .

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कविता के बहाने: अशोक

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Thursday, April 9, 2009. दरवाजे पर का बूढ़ा. कहते हैं जिसे रोपा था. मेरे दादा ने,. खडा है अब भी,. हमने बाँट ली है. उसके नीचे की एक एक पग धरती. मन्दिर के देवता तक ।. खड़ा है वह अब भी. लुटाता हम पर अपनी छांह की आशीष ।. उसकी लचकती डालियाँ. बुलाती हैं अब भी. घसीट लो मचिया इधर ही,. आओ थोड़ी. देर पढें. मुंशी जी का 'गोदान. या गुरुदेव की 'गीतांजलि।'. या फ़िर आओ जमे. ताश की बाज़ी ही,. तब तक जब तक. मीठी लताड़ के साथ।. हम ज़रूर आते. वैश्वीकरण. घर,आँगन और. नर&#23...

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रंग-तरंग: गुरमीत बेदी: परिचय

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गुरमीत बेदी. पर्वत राग' पत्रिका. प्रकाशित संग्रह. मेरे बारे में. फोटो गैलरी. ब्लॉग परिकल्पना. इस ब्लॉग को देखने के लिए मोज़िला फायरफॉक्स. का इस्तेमाल सर्वोत्तम है।. गुरमीत बेदी: परिचय. गुरमीत बेदी. 21 सितम्बर, 1963. शिक्षा :. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातक तथा पत्रकारिता व. जनसंचार मे स्नातकोतर।. 1983 से 1988 तक जालन्धर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'वीर प्रताप' में. अलावा तीन उपन्यास धारावाहिक रूप से प्रकाशित। एक. पुरस्कार:. संस्था का व्यंग्य. द्वारा सम्मानित। ...विद्यार्थ&#2367...एमफिल अनि...जिल...

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वर्षा...यहां सुनाई देते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर: October 2014

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वर्षा.यहां सुनाई देते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर. मैं अपनी आंखें-दिल को मिट्टी बनने देना नहीं चाहती. फांसी पर चढ़ा दी गई ईरानी महिला का अंतिम पत्र. मेरी प्रिय मां,. तुम क्यों नहीं मुझे तुम्हारे और पापा के हाथों को चूमने का एक मौका देती हो? प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: ईरान. मां को पत्र. रेहाना जब्बारी. गांव का घर- स्मृतियों का घर. जो महज एक घर भर नहीं थे।. और हां अकेला बिलकुल नहीं।. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इस संदेश के लिए लिंक. पगडंडियां. ख़ामोश! आज सुबह स&...

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लिखो यहां वहां: February 2014

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लिखो यहां वहां. सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक हलचलों के साथ. Friday, February 28, 2014. मध दा ने कर दी है दिन की शुरूआत. विजय गौड़. भूल जाता हूं मैं/ यह सारी बातें. अवतरित हो जाता है दुखहरन मास्टर भीतर तक. खड़ा होता हूं जब/ पांच अलग-अलग कक्षाओं के. सत्तर-अस्सी बच्चों के सामने।. हो गई है दिन की शुरूआत/बाजार सजने लगी है. सामने मध दा ने भी खड़ा कर दिया है. अपना साग-पात का ठेला. तरतीब से सजाए/ताजी-ताजी सब्जियां. 2404;।।।।।।।. 2404;।।।।।।।।. ब्ास के चलने से पहले तक. मूल्य : 125/-. विजय गौड़. नीलकण&#23...

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वर्षा.यहां सुनाई देते हैं स्त्रियों की मुक्ति के स्वर. रात का राग. जी चाह रहा था पोटली में इस आवाज़ को बांध लूं, सहेज लूं, जब जी चाहा, पोटली खोली, आवाज़ सुनी, थोड़ा सुकुन बटोरा और पोटली फिर संभाल कर रख दी।. चित्र गूगल से साभार). प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: आवाज़. रात का राग. सन्नाटा. Subscribe to: Posts (Atom). बोल के लब आज़ाद हैं तेरे. बोल ज़बां अब तक तेरी है. तेरा सुतवां जिस्म है तेरा. बोल के जां अबतक तेरी है. फैज़ अहमद फैज़. रात का राग. IBA में bareesh. हो गई ह&#23...

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मेरी बात मानो भाई

मेरी बात मानो भाई. रविवार, 24 अप्रैल 2011. चर्चा रांची के दैनिक सन्मार्ग मानवता की. 8220; बड़ा हुआ तो क्या हुआ,जैसे पेड़ तार-खजूर. पथिक को छाया न दे,फल लगे अति दूर. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू स्तर तक बात उठाई. . . . प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल:समाचार, आलेख,खबर,सूचना पत्रकारिता. सीधी नजर. शुक्रवार, 21 मई 2010. राष्ट्रपति शासन की और बढ़ रहा है झारखंड. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. सीधी नजर. मुख्यपृष्ठ. मुकेश क&#23...8220; बड&...

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