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कविता के बहाने

कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. Tuesday, July 21, 2009.

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. Tuesday, July 21, 2009.
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कविता के बहाने | kavitavarta.blogspot.com Reviews

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. Tuesday, July 21, 2009.

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कविता के बहाने: September 2008

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Tuesday, September 30, 2008. खिड़की के पास वाला पेड़. रात के चौथे पहर. अंधेरे में. तन कर खड़ा वह पेड़ ,. यौवन से आप्लावित. मानो प्रतीक्षा में. प्रेयसी की।. निर्भीक , निश्चिंत. हवा के झोकों संग हिलता. न हो उतरा नशा. मानो अभी तक. रात की मदिरा का।. मद्धम चाँदनी में. पत्तियों पर चमक रहीं. बारिष की हीरक बूँदें ,. श्रम के स्वेदबिंदु।. उषा के साथ. आएगी पहली किरण. लिपट जाएगी उसके अंग-अंग से।. महक उठेगी. उसे छू कर. प्रात समीर।. हो जाएगा. उसकी टहनी. धुए&#2...

2

कविता के बहाने: July 2015

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. उडन तश्तरी .

3

कविता के बहाने: December 2008

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Wednesday, December 24, 2008. क्यों हो तुम इतने. पुंसत्वहीन ।. क्यों नहीं आया. कभी मन में तुम्हारे कि. तुम भी करो उद्योग. बढ़ाने को. अपना बल, पौरुष,. शक्ति और कौशल ।. क्यों नही की. कभी तुमने ,. क्यों होते रहे तुम सदैव. शंकाग्रस्त. दूसरों के तप से ।. क्यों नही आई लज्जा तुम्हें. माँगते कवच- कुंडल. पुत्र सरीखे कर्ण से ।. और तो और. नहीं झिझके तुम. फैलाने में हाथ. अपने चिर शत्रु. विरोचन के सामने भी।. क्यों नहीं लगाई. कभी श्रेयस्कर. नहुष भी।. Picture Window ...

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कविता के बहाने: March 2009

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Saturday, March 28, 2009. तुम फ़िर आना . तुम फ़िर आना. हम फ़िर बैठेंगे चल कर. जमुना की ठंडी रेत पर. और करेंगे बातें. कविता की,. कहानियों की. और तितलियों की तरह. उड़ती फिरती लड़कियों की।. तुम फ़िर आना. मौसम के बदलने की तरह. हम फ़िर बैठेंगे चल कर. कंपनी बाग़ की. किसी टूटी बेंच पर. हरियाली की उस उजड़ रही. दुनिया के बीच. देर तक महकता रहेगा गुलाब. हमारे भीतर और बाहर।. तुम फ़िर आना. हम फ़िर बैठेंगे चल कर. ठंडी चाय पीते. कैसे चलेगा खर्च. Subscribe to: Posts (Atom).

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कविता के बहाने: कौए

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कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Tuesday, July 21, 2009. सुना है. विलुप्त हो रहें है।. क्या सच? पर क्या रमेसर की माँ. अब नहीं उड़ाएगी. मुंडेर से कौए? पति के शहर से. लौटने की प्रत्याशा में।. क्या अब. झूठ बोलने पर. काला कौआ नहीं काटेगा. नहीं पढेंगे बच्चे. क' से कौआ।. कहानी सुनाती नानी. कैसे समझायेगी. उन्हें कि. क्या होता है मतलब. रानी से कौआ-हंकनी. बन जाने का।. जब दिखेंगे ही नहीं. कौन लेगा पिंडदान. पितृपक्ष में. क्या रहेंगे पितर. भूखे ही।. नई दुनिया में. चीजें. बची है जगह. नरेश सक...

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हमारा समय: November 2008

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हमारा समय. रविवार, 30 नवंबर 2008. ६० घंटे का रियलिटी शो. दिनों. 2404; पूरा. आतंकियों. वालों. शुक्रगुजार. होंगे. दिनों. 2404; टी. चैनलों. रिपोर्टं. 2404; मानो. प्रोग्राम. 2404; किसी. हेल्पलाइन. 2404; पता. घायलों. गोलियों. तस्वीरे. दाताओं. उत्तेजनातिरेक. शक्लें. 2404; किसी. आतंकवादियों. होंगे. 2404; आतंकवादियों. उन्हें. साथियों. कमांडोज. गतिविधि. 2404; नेताओं. सहानुभूति. छिद्रान्वेषण. महानुभावों. मूर्खता. आतंकियों. सुरक्षाबलों. प्रस्तुतकर्ता. एस बी. सिंह. 4 टिप्‍पणियां:. नई पोस्ट. उडन तश्तरी .

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हमारा समय: भगवान की पत्नी

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हमारा समय. रविवार, 28 सितंबर 2008. भगवान की पत्नी. 2404; माल. 2404; उसके. पैरों. 2404; कपडे. 2404; तभी. 2404; महिला. 2404; उसने. दस्ताने. खरीदे।. 2404; उसके. 2404; ' जी'. 2404; अच्छा. बालिका. सुनिए' लड़की ने महिला को पुकारा।. हाँ बेटे बताओ' महिला ने मुड़ते हुए पूछा ।. क्या आप भगवान की पत्नी हैं' लड़की ने प्रश्न किया।. इंडिया. स्मृति. प्रस्तुतकर्ता. एस बी. सिंह. 7 टिप्‍पणियां:. सतीश सक्सेना. ने कहा…. क्या मासूमियत है? PS: pl remove word verification . this serve no purpose. ने कहा…. नई पोस्ट.

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हमारा समय: March 2009

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हमारा समय. बुधवार, 4 मार्च 2009. ये भी है मेरा महान भारत . उद्द्वेलित. कानों. महानगरों. चकाचौंध. चुन्धियाये. भाग्यविधाता. मेलघाट में. के कारण 10 हजार बच्‍चों की मौत. प्रस्तुतकर्ता : महामंत्री - तस्लीम. महाराष्‍ट्र के अमरावती जिले के मेलघाट जंगली क्षेत्र में. से अब तक भुखमरी से. बच्चों को भूख से मरना पड़ता है. साल. में जहां सबसे कम. बच्चे मारे गए वहीं. को सबसे ज्यादा. बच्चों को मौत के मुंह में जाना पड़ा।. को पार कर चुका है।. यहां की. और धारणी तहसील में. लेखक- शिरीष खरे. एस बी. सिंह. नई पोस्ट. जय श्र&#...

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रंग-ए-सुखन: August 2008

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Saturday, August 30, 2008. अहमद फ़राज़ साहेब को श्रद्धांजलि. अहमद फ़राज़ साहेब को श्रद्धांजलि स्वरूप उन्ही की यह ग़ज़ल मेहँदी हसन की आवाज़ में -. रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ ,. आ फ़िर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।. पहले से मरासिम न सही फ़िर भी कभी तो,. रस्मो-रहे-दुनिया ही निभाने के लिए आ।. किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम,. तू मुझ से खफा है तो जमाने के लिए आ।. अब तक दिले खुशफहम को तुझसे है उम्मीदे,. ऐ आखरी शम्मे भी बुझाने के लिए आ।. एक और ग़ज़ल पेश है-. प्रस्तुतकर्ता. Thursday, August 28, 2008.

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रंग-ए-सुखन: दुआ करो के ये पौधा सदा हरा ही रहे....

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Tuesday, January 5, 2010. दुआ करो के ये पौधा सदा हरा ही रहे. जरूरत है। ताकि कम से कम यहाँ पढ़ने और लिखने वालों का उत्साह और ऊर्जा बनी रहे. आइये नए साल में अच्छी और सार्थक ब्लोगिंग का मिल कर प्रयास करे।. चर्चा आप आगे बढ़ाइए. तब तक आइये सुनते हैं एक बार फिर मेरे प्रिय गायक वडाली बंधुओं को और बाबा बुल्ले शाह के साथ. विचारते है शाश्वत प्रश्न - 'मैं कौन? चित्र इन्टरनेट. प्रस्तुतकर्ता. एस बी. सिंह. हिमांशु । Himanshu. प्लेयर कहाँ है? January 6, 2010 at 5:42 AM. समीर लाल ’समीर’. January 6, 2010 at 7:10 AM.

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रंग-ए-सुखन: January 2010

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Saturday, January 23, 2010. दो कवितायें. आज आप के लिए पेश हैं दो कवितायें - पहली. मैथिली कविता जिसका अनुवाद स्वयं कवि ने किया है और दूसरी राजस्थानी कविता जिसका अनुवाद किया है नीरज दईया ने। ये कवितायें लगभग १५-२० साल पहले छपी थीं।. उलौंघता. जीव कान्त). अनरुध के पास एक झोपड़ी है. एक छोटा सा बच्चा. के लिए लाएगा अमरूद. घरनी के लिए पाव भर शकरकंद. झोपड़ी के सामने बंधे बाछे के लिए. लाएगा एक टोकरी घास. थोड़ी सी डूब की लत्तरें. अनरुध सूर्य के साथ उठता है. उस की पर्णकुटी. और उसकी पत्नी. मोहन आलोक). रख दे।. पुर...

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रंग-ए-सुखन: April 2009

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Sunday, April 26, 2009. काश पढ़ सकता किसी सूरत से तू आयाते-इश्क़. 2404; पेश हैं फ़िराक के कुछ शे'र-. हिन्दी. जल मा चमके उजारी मछरिया, रन चमके तरवार,. सभा में चमके मोरे सैयां की पगडिया, सेजिया पे बिंदिया हमार।. जलवा-ए-गुल को बुलबुल बहुत है शमा को गिरा-ए-शाम. बाड़े-बहारी गुल को बहुत है मुझ को तेरा नाम ।. बिजली चमके काली घटा में जाम में आतशे-सर्द. चमके राख जोगी की जता में मुझमें तेरा दर्द।. शाख पर शोल-ए-गुल की लपक हो चर्ख प अन्जुमो-माह. जमाल सर से कदम तक तमाम शोला है. एक आलम पर नहीं रहती ह&#2...गाह र&#23...

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रंग-ए-सुखन: October 2008

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Sunday, October 26, 2008. जो मैं भी हूँ और तुम भी हो. आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। यह प्रकाशपर्व हम सब के जीवन को और मन-प्राण को. हम देखेंगे. लाज़िम है के हम भी देखेंगे. वो दिन के जिस का वादा है. जो लौह-ए-अज़ल में लिखा है ।. जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोहेगराँ. रूई की तरह उड़ जायेंगे. हम महकूमों के पाँव तले. ये धरती धड़ धड़ धड़केगी. और अहलेहकम के सर ऊपर. जब बिज़ली कड़ कड़ कड़केगी ।. जब अर्जेख़ुदा के काबे से. सब बुत उठवाये जायेंगे. हम अहलेसफ़ा मरदूदेहरम. उठेगा अनलहक़ का नारा. Saturday, October 25, 2008.

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Sunday, June 7, 2009. मैं बेकल ज़र्रा सहरा का, तू रहमत का दरिया साइयां. मुखातिब. 2404; कुछ. व्यस्तता. 2404; तो. खामोशी. तोड़ते. 2404; लेकिन. The uncrowned Sufi Queen. Pakistani singer Abida Parveen´s truly amazing voice has earned her the status as heir to the crown of the late Qawwali legend Nusrat Fateh Ali Khan. Though not as immediate as the surging ecstasies of the big Qawwali ensembles, her intimate, charged music offers much to those prepared to give themselves over to it. Abida Parveen gets her m...

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कवितावली

कवितावली. Sunday, October 12, 2014. लौटूं पग पग. सुबह की पहली बस. अक्सर छूट जाती है क्षणिक दूरी से. सांस सांस संभाले हुए देखूं. बर्फ का विस्तार. तुम्हारी. पतली बाँहों की ओर. न पुनारागन न पुनरावृति. किन्तु लौट लौट कर आता है मन. इस जाड़े भी. स्नो शू पर बनती हैं बेढब आकृतियां. उनमें दिख जाता है. उदास चेहरा. स्मृति से भरा हुआ. मेरे कच्चे दिनों में बिलोए हुए. स्वप्नों के मध्यांतर. रुक जाते हैं तुम्हारे स्पर्श की याद पर आकर. मैं लौटूं पग पग. बर्फ भरी राह पर चलते हुए. अतीत की पाजेब. Friday, September 6, 2013.

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ਕਵਿਤਾਵਾਂ. Wednesday, March 4, 2009. ਸੁਖਿੰਦਰ - ਨਜ਼ਮ. ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਹੱਸਣ ਦਿਓ. ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਹੱਸਣ ਦਿਓ-. ਹੱਸਦੀਆਂ ਹੀ ਚੰਗੀਆਂ ਲੱਗਦੀਆਂ ਨੇ ਉਹ. ਹੱਸਦੀਆਂ ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਯਾਦ ਆਵੇਗਾ. ਚਿੜੀਆਂ ਦਾ ਚਹਿਕਣਾ. ਚਿੜੀਆਂ ਦੇ ਚਹਿਕਣ ਨਾਲ ਯਾਦ ਆਵੇਗੀ. ਸਵੇਰ ਦੀ ਤਾਜ਼ਗੀ. ਸਵੇਰ ਦੀ ਤਾਜ਼ਗੀ ਨਾਲ ਯਾਦ ਆਵੇਗਾ. ਫੁੱਲਾਂ ਦਾ ਖਿੜਨਾ. ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਖਿੜਨ ਨਾਲ ਯਾਦ ਆਵੇਗੀ. ਚੌਗਿਰਦੇ. ਚ ਫੈਲੀ ਮਹਿਕ. ਮਹਿਕ ਨਾਲ ਯਾਦ ਆਵੇਗਾ. ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣਾ ਹੀ ਹਸੂੰ ਹਸੂੰ ਕਰਦਾ ਚਿਹਰਾ. ਹਸੂੰ ਹਸੂੰ ਕਰਦੇ ਚਿਹਰੇ ਨਾਲ ਯਾਦ ਆਵੇਗਾ. ਧੀਆਂ ਨੂੰ ਹੱਸਣ ਦਿਓ-. ਹੱਸਣ ਦਿਓ. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ-. ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ. ਚੌਰਸਤਿਆਂ ਵਿੱਚ. ਸਕੂਲਾਂ. ਹੱਸਣ ਦਿਓ. ਮਨੁ&...

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कविता के बहाने

कविता के बहाने. अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा . Friday, July 24, 2015. ईश्वर की संताने. वे बच्चे. किसके बच्चे हैं. नाम क्या है उनका. कौन हैं इनके माँ बाप. कहाँ से आते हैं इतने सारे. झुण्ड के झुण्ड,. उन तमाम सरकारी योजनाओ के बावजूद. जो अखबारों और टीवी के. चमकदार विज्ञापनों में. कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,. कालिख और चीथड़ो के ढकी. बहती नाक और चमकती आँखों वाली. जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ. जो बिखरी हुयी हैं. चमचमाते माल्स से लेकर. अभिशप्त बचपन में ही. अनवरत संघर्षरत. Tuesday, July 21, 2009.

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इस ब्लॉग से मेरी अनुमति के बिना. कोई भी रचना कहीं पर भी प्रकाशित न करें।. बड़ी करिश्माई है अहसासे मुहब्बत. जीवन नहीं कभी बंज़र होता है।. संग मौसम उतर जाओ फ़िज़ाओं में. तुमसे ही शादाब मेरा शज़र होता है।. रात कट जाती है आँखों में अक्सर. उधर भी क्या यही मंज़र होता है।. अजाबे इश्क़ भी अज़ीज़ होता है ,पास. जब तुम्हारी बांहों का पिंजर होता है।. दिल की बात आती नहीं जुबां पे. दिल पे चलता तब खंज़र होता है।. 160; Posted by Kavita Vikas. 160;  . 160;  . कोरी थी जीवन की किताब यह. 160; Posted by Kavita Vikas. 160;  . पलक ब&#23...