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मनोरथ: July 2014
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Saturday, July 5, 2014. चारमीनार का नारको टेस्ट २. ऐ चारमीनार बता. एक तरफ डॉट कॉम के चमचमाते ऑफिस है तो दूसरी तरफ दस्त कम और जवानी बढाने वाले हकीमों के विज्ञापन भी है.तुम किसकी तरफ हो चारमीनार? फ़िर तुम खुश कैसे रहते हो? वह मुस्कराते हुए कहता है- साब, ये तो चारमीनार जाने. जाहिर है, सवाल तो वह कर रहा है! क्यों चारमीनार? ओहो.हैदराबाद में और भी बहुत कुछ है.बहुत से सवाल हैं मगर आज इतना ही. सभी के ख़िदमत में सलाम अपुन का. हैदराबाद डायरी. समीर यादव. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. लेबल: बतकही. March 9, 2011 at 8:23pm.
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मनोरथ: February 2013
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Sunday, February 24, 2013. मर्जी" शिफ्ट होकर केवल लड़के की तरफ हो गयी. जाहिर है, तलाश हुई . रिपोर्ट हुई . खोजबीन मची. मिल गए . पूछा तो कहा . मर्जी से गए, साथ रहे, मुहब्बत की है. फिर बयान दर्ज होने तक "मर्जी" शिफ्ट होकर केवल लड़के की तरफ हो गयी. मुकदमा कायम हुआ. लड़के को चारदीवारी वाले जेल और . लड़की उसी घर में ले जायी गयी जिसमें वो खिड़की अब हमेशा बंद रहती थी. क्या सोच रहे हैं आप सब ख़तम. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: बतकही. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. लेबल: बतकही. छींट&...सि&...
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मनोरथ: March 2013
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Thursday, March 7, 2013. बन्दूक चल गयी. हल्की बूंदा-बांदी से सड़क गीली हो गयी थी. ठिकाने पर पहुँचने से पहले शहर पार करना ही था. दौलत सिंह से मिलते हुए चलेंगे, शादी में नहीं आ सके थे न. पर ज्यादा टाईम नहीं लगाना. कंधे पर सीलिंग बेल्ट से फंसी बन्दूक को दायें से बायीं ओर करते हुए कहा उसने. ओहो.हो! खड़.र.र. धडाक ! यार, बन्दूक चल गयी. सड़क के दूसरी ओ. र जमीन पर पड़े लड़के को आने जाने वाले देख कर रुकने लगे. थाना पहुँचकर रिपोर्ट लिखाने लगे . साहब, मैं .पिता. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. लेबल: बतकही. तीसर...
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मनोरथ: July 2013
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Tuesday, July 30, 2013. जा कुलच्छनी! सब बरी हो गए. तुम क्यों आये रिपोर्ट करने ? फुसफुस.फुसफुस. हाँ कारण ही कान में बताता है. ऐसी रिपोर्ट हुई तो गुम इंसान ही कायम होना था, लिखा नाम, पता, हुलिया, अंतिम बार कब, कहाँ, किसके साथ देखी गयी. खोजबीन हुई . हाँ भई सच में हुई. न वो मिली, न उसकी लाश! ओह इतनी जल्दी लाश क्यों लिख दिया]. मामला ही ऐसा था कि. डेड बॉडी मिले बिना]. फिर खोजबीन हुई. हाँ भई ठीक से हुई. नहीं मिली, मिलनी भी नहीं थी. इन बयानों के साथ पुलिस ने चप...ऐसे कोई जांच हो...गवाह और सबूत...हुआ...
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मनोरथ: बदलाPUR ने बदला बदला लेने का अंदाज़
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Saturday, February 21, 2015. बदलाPUR ने बदला बदला लेने का अंदाज़. यह जानने के लिए फिलिम देखना तो बनता है. दर्शक को सबकुछ दिखाकर उसे स्टोरी के क्लाइमेक्स पर अटकल लगाते रहने पर मजबूर करना ही इस "थ्रिलर" का असली "थ्रिल" है. इस प्रश्न को ऑडियंस के दिमाग में खलबली मचाने के लिए छोड़ते हुए. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. लेबल: बतकही. रिव्यू. Subscribe to: Post Comments (Atom). सुकवि बुधराम यादव. गीत तुम्हारे लिए मैं गा रहा हूँ. समीर यादव. View my complete profile. अनुक्रमणिका. खंड-काव्य. खंडकाव्य. गोठ बात.
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मनोरथ: January 2013
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Sunday, January 20, 2013. असुविधा हुई तो काहे का एक्ट और सुविधा के लिए क्यों नहीं एक्ट. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: समीर यादव. Subscribe to: Posts (Atom). सुकवि बुधराम यादव. गीत तुम्हारे लिए मैं गा रहा हूँ. समीर यादव. हुआ नसीब ना आम आदमी बनकर भी जीना मरना, मिथ्या है फ़िर आस व्यवस्था से सुविधाओं की करना! View my complete profile. अनुक्रमणिका. अशोक कुमार पाण्डेय. खंड-काव्य. खंडकाव्य. गॉंव कहॉं सोरियाव हे. गॉंव कहॉं सोरियावत हे. गोठ बात. जागरण गीत. फेस बुक. रिव्यू.
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मनोरथ: February 2012
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Friday, February 17, 2012. मानसी ये तुमने क्या किया ? लिस स्टेशन इंचार्ज का कमरा. शुभचिंतक - चलिए इतनी मुश्किल के बाद दोनों आ तो गये साहब. अब बयान हो जाये. पुलिस अधिकारी ने जैसे ही लड़के की तरफ निगाह की वहाँ बैठे कई लोगों ने एक साथ कहा - अर्चित, साहब तुमसे कुछ पूछ रहे हैं. पुलिस अधिकारी - लड़की की तरफ बिना देखे .तुम्हारा क्या कहना है मानसी? पुलिस अधिकारी - तुमने कहाँ तक पढाई की है मानसी. आर्ट्स ग्रेजुअट हूँ सर. इतनी मशक्कत के बाद . अर्चित , अर्चित क...प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. लेबल: बतकही. इसी ...
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मनोरथ: March 2015
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Sunday, March 8, 2015. गुरुत्वाकर्षण- आकर्षण-शारीरिक विवशता. दम लगा के हईशा). गीत-संगीत फिल्म के लय में हैं. हाँ पात्रों की भाषा के मसले पर हरेन्द्र भाई से सहमत. प्रस्तुतकर्ता. समीर यादव. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: बतकही. रिव्यू. बातचीत में मौसम के आने के पहले. पता नहीं! इच्छायें इनका क्या? हाँ कर दी उसने. अब तक अनजान रही वसुधा आ गयी, पापा के घर और उसके जीवन में . तुमने मुझमें ऐसा क्या देखा जो पसंद कर लिया! उस दिन की बातचीत ऐसे ही शुरू हुई. मगर प्लान करके नहीं. सवाल टालने के ल...तुम भी न! वो द&...
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मनोरथ: August 2013
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Saturday, August 17, 2013. नाईट गश्त में चेकिंग. वूं वूं वूं .वूँ.वूं! अरे कितनी बार कहा गश्त के दौरान सायरन या हूटर मत बजाया करो और हाँ पीली बत्ती भी जलाने की जरुरत नहीं है. और गोविन्द कैसा चल रहा है, सब ठीक है तुम्हारे पॉइंट पर. वो मुन्ना खटिक को चेक किया, पता चला है जेल से छूट गया है. हाँ सर, लेकिन घर पर कभी नहीं मिलता. बस उसकी माँ और भाभी रहती है. अरे कभी सुबह सुबह दबिश दिया कर, वो भी छत पर, तब मिलेगा ओके. स्साले. कुछ न कुछ करते रहते हैं. हाँ सर! अरे गौतम! 8220;अपने घर में मै&...8220;लेकि...8220;क...
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मनोरथ: March 2012
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Saturday, March 10, 2012. कहीं राह में रख देते तो बेहतर था. प्रमोद रामावत की गजल. खामोशी का अर्थ समझने की खातिर. सारा जीवन शोर मचाते रहते हैं. सिर का इससे अच्छा क्या उपयोग करें. यहाँ वहां हर जगह झुकाते रहे. उनको मुझसे निस्बत है या नफरत है. लिख कर मेरा नाम मिटाते रहते हैं. हमको आँगन की पीड़ा से क्या मतलब. हम तो बस दीवार बनाते रहते हैं. किसी तरह दिल को समझाते रहते हैं. हम पत्थर पर फूल चढ़ाते रहते हैं. कहीं राह में रख देते तो बेहतर था. सादगी चाहिए सादगी के लिए. प्रमोद रामावत. समीर यादव. Friday, March 9, 2012.
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