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मेरी कलम मेरे जज़्बात: तल्खियाँ ( gazal)
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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Wednesday, 3 June 2015. तल्खियाँ ( gazal). हालात अक्सर ज़ुबानों पर, तल्खियाँ रख देते हैं,. रेशमी से अहसास पर ये, चिंगारियां रख देते हैं . मुश्किल नहीं इस कदर यूँ तो, ये बयाँ जज़्बात का. ये लफ्ज़ आ बीच में क्यों, दुश्वारियाँ रख देते हैं. मासूमियत छीन कर ज़ालिम, दाँव ये ज़माने के. इक बार फिर जी लें जी भर, बचपन का वो भोलापना. सुशील कुमार जोशी. 3 June 2015 at 17:57. खुद्दारियाँ. बहुत सुंदर! 4 June 2015 at 00:41. दि...
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मेरी कलम मेरे जज़्बात: July 2014
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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Sunday, 20 July 2014. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. मन में मेरे संतोष यही,. विनती अपने आकुल हिय की,. तुम तक मैंने पहुँचाई सही. कुछ पीड़ा कुछ संताप लिखे,. कुछ प्रीत भरे उदगार लिखे. हर अक्षर में जिसके मैं थी,. पाती तुम तक पहुँचाई वही. संदेश नहीं, न संकेत कोई ,. न आस मिलन की लेश कोई ,. सुन एक पुकार आओगे तुम,. मन में प्रतिपल विशवास यही. न, विरहन न कहना मुझको ,. मानव प्रभु स...सजा स...
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मिर्ज़ा ग़ालिब: June 2013
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मिर्ज़ा ग़ालिब. Click here for Myspace Layouts. जून 21, 2013. यूँ होता तो क्या होता. न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता. डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता,. हुआ जब गम से यूँ बेहिस, तो गम क्या सर के कटने का. न होता गर जुदा तन से, तो जानू (घुटने) पर धरा होता,. हुई मुद्दत के मर गया 'ग़ालिब' पर याद आता है. वो हर एक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता,. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 5 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. लेबल: गज़लें. नई पोस्ट. 160; तì...
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क़लम का सिपाही: March 2013
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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. मार्च 05, 2013. प्रेम एक भावनागत विषय है, भावना ही से उसका पोषण होता है, भावना ही से लुप्त हो जाता है । प्रेम भौतिक वस्तु नहीं है ।". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 14 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इमरान अंसारी. क्षणभंगुर.
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क़लम का सिपाही: March 2011
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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. मार्च 25, 2011. आशा - निराशा. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 6 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. मार्च 04, 2011. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 8 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. क्षणभंगुर. जीवन से...
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क़लम का सिपाही: July 2011
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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. जुलाई 16, 2011. मानव ह्रदय. मानव ह्रदय एक रहस्यमय वस्तु है, कभी तो वह लाखों की ओर आँख उठाकर नहीं देखता और कभी कौड़ियों पर फिसल जाता है ". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इमरान अंसारी. क्षणभंगुर.
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क़लम का सिपाही: April 2011
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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. अप्रैल 19, 2011. परीक्षा-अग्नि. दुःख की अवस्था ही वह परीक्षा-अग्नि है, जो मनुष्य का असली चेहरा सामने ला देती है ". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. अप्रैल 05, 2011. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. क्षणभंगुर. जीवन स...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): June 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Monday, June 4, 2012. कभी भीड़ से. कभी अकेले से. कभी धुंधले से. कभी दूर से. कभी करीब से. कभी अजनबी से. कभी अपने से. मिलते,बिछड़ते चेहरे. आँखों से ओझल हुए. बहुत चेहरे. कुछ अपने से ! शोभा ). Labels: कविता. तुम प्राणवायु हो. शीतल छाया हो. लाल फूलों से सजे. तुम बहुत लुभावने हो. और 'मैं'. मर्यादा से बंधी. वो पवित्र धागा हूँ. जो किस्तों में कई बार बाँधी जाती हूँ. कभी बरगद,कभी पीपल के तने से. मैं बंधी हूँ. परम्पराओं की मजबूत डोर से. मैं एक अनजाने. पर छा जाती. तुम संग. अस्ति...
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खलील जिब्रान: July 2013
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खलील जिब्रान. Click here for Myspace Layouts. जुलाई 18, 2013. वास्तविकता. दूसरे व्यक्ति की वास्तविकता उसमें नहीं है, जो कुछ वह तुम पर व्यक्त करता है, बल्कि उसमें है जो कुछ वह तुम पर व्यक्त नहीं कर पाता।. खलील जिब्रान. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 6 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: खलील जिब्रान - अनमोल वचन. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). खलील जिब्रान. इमरान अंसारी. संसार कí...एक दì...
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खलील जिब्रान: September 2012
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खलील जिब्रान. Click here for Myspace Layouts. सितंबर 15, 2012. लोमड़ी. एक लोमड़ी ने सुबह के वक़्त अपनी छाया पर दृष्टि डाली और कहा, "मुझे आज नाश्ते के लिए एक ऊँट मिलना ही चाहिए।". खलील जिब्रान. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 11 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: खलील जिब्रान - छोटी कहानियाँ. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). खलील जिब्रान. मेरे बारे में. इमरान अंसारी. संसार के श&#...एक दिन स&...
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