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जज़्बात...दिल से दिल तक

जज़्बात.दिल से दिल तक. मई 08, 2015. दौर-ए-गर्दिश. लगता है सुलझाने में ही बीतेगी तमाम उम्र. उलझी है जिंदगी किसी सवालात की तरह,. ज़ाहिर करता है ऐसे पहचानता नहीं मुझे. मिलता है हर बार पहली मुलाक़ात की तरह,. बदले-बदले से उसके तेवर नज़र आते हैं,. वो भी बदल रहा है जैसे हालात की तरह,. कर सके तो कर वफ़ा मेरी वफ़ा की बदले. नहीं चाहिए मुहब्बत मुझे खैरात की तरह. क्यूँ दौर-ए-गर्दिश से घबरा न जाये दिल. गम बढ़े आते है किसी बारात की तरह,. 169; इमरान अंसारी. 1 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. दिसंबर 09, 2014. नवंबर 24, 2014. पæ...

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जज़्बात.दिल से दिल तक. मई 08, 2015. दौर-ए-गर्दिश. लगता है सुलझाने में ही बीतेगी तमाम उम्र. उलझी है जिंदगी किसी सवालात की तरह,. ज़ाहिर करता है ऐसे पहचानता नहीं मुझे. मिलता है हर बार पहली मुलाक़ात की तरह,. बदले-बदले से उसके तेवर नज़र आते हैं,. वो भी बदल रहा है जैसे हालात की तरह,. कर सके तो कर वफ़ा मेरी वफ़ा की बदले. नहीं चाहिए मुहब्बत मुझे खैरात की तरह. क्यूँ दौर-ए-गर्दिश से घबरा न जाये दिल. गम बढ़े आते है किसी बारात की तरह,. 169; इमरान अंसारी. 1 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. दिसंबर 09, 2014. नवंबर 24, 2014. प&#230...
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जज़्बात.दिल से दिल तक. मई 08, 2015. दौर-ए-गर्दिश. लगता है सुलझाने में ही बीतेगी तमाम उम्र. उलझी है जिंदगी किसी सवालात की तरह,. ज़ाहिर करता है ऐसे पहचानता नहीं मुझे. मिलता है हर बार पहली मुलाक़ात की तरह,. बदले-बदले से उसके तेवर नज़र आते हैं,. वो भी बदल रहा है जैसे हालात की तरह,. कर सके तो कर वफ़ा मेरी वफ़ा की बदले. नहीं चाहिए मुहब्बत मुझे खैरात की तरह. क्यूँ दौर-ए-गर्दिश से घबरा न जाये दिल. गम बढ़े आते है किसी बारात की तरह,. 169; इमरान अंसारी. 1 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. दिसंबर 09, 2014. नवंबर 24, 2014. प&#230...

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जज़्बात...दिल से दिल तक: January 2014

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जज़्बात.दिल से दिल तक. जनवरी 31, 2014. चल यार मनाएंगे. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. जिसके रंग में रंगे हम जोगी. साथ उसके ही रास रचाएंगे,. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. नज़रों ने किया घायल जिसकी. उसको ही हम दिलदार बनाएंगे,. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. आई है जिससे ज़िंदगी में बहार. वफ़ा का उसको हार पहनाएंगे,. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. छुपाने से कहीं खो न जाएँ ख़ज़ाने. पाई दौलत दोनों हाथों से लुटाएंगे,. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. जहाँ खोजी ख़ुशी वहाँ मिले गम. चल री सखी! चल यार मनाएंगे. चल री सखी! चल री सखी! विर&...

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जज़्बात...दिल से दिल तक: August 2013

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जज़्बात.दिल से दिल तक. अगस्त 31, 2013. अपनी हसरतों के गारे से. उम्मीदों की ईंटों की चुनाई कर. यकीन की बुनियाद पर 'रिश्तों'. की ईमारत तामीर की थी मैंने,. इश्क के छप्पर तले. कई सुनहले दिन और. कई खवाबों भरी रातें. कितने सुकूँ से बीती थी,. पर एक रात जब खुद को. दुनिया के गम से महफूज़ समझ. मैं गफलत की नींद सो रहा था. तभी वक़्त का ज़लज़ला उठा. जिसने यकीन की बुनियाद को. जड़ से हिला कर रख दिया. पल भर में ईमारत धूल में मिल गई. और मैं मलबे के नीचे कहीं दब गया,. फिर से कोशिश करो और एक. अगस्त 17, 2013. वो प&#23...

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जज़्बात...दिल से दिल तक: June 2014

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जज़्बात.दिल से दिल तक. जून 24, 2014. किनारा. न तो इस किनारे ही जीवन है. और न ही उस किनारे पर. अरसे से रुके हुए थमे हुए ये. किनारे कभी कहीं नहीं पहुँचते,. दोनों ही किनारों के बीच रहकर. नदी के प्रवाह सा बहता है जीवन. जैसे साक्षी भाव बहता है भीतर. सुख और दुःख दोनों से परे. बैठ पकड़ कोई भी किनारा. बस सड़ता जाता है जीवन. बहता हुआ स्वीकृति के भाव से. एक रोज़ जा मिलता है सागर में ,. 169; इमरान अंसारी. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 6 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! जून 17, 2014. पहला पैगाम. आँख&#2379...

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जज़्बात...दिल से दिल तक: December 2013

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जज़्बात.दिल से दिल तक. दिसंबर 30, 2013. स्माइल प्लीज़. घर से हम थे जैसे ही निकले. थोड़ी ही दूर पर जाकर फिसले,. देखा एक गोरा सा मुखड़ा. चाँद का था टुकड़ा,. दिल आया उसके क़दमों के नीचे. फ़ौरन ही हम लग लिए थे पीछे,. सुर्ख होठ थे गालों पर थी लाली. पता चला थानेदार की थी साली,. लम्बे घने रेशम के जैसे थे बाल. किसी नागिन सी उसकी थी चाल,. खड़ा था वहाँ उसका भाई भी निट्ठल्ला. आ गए हम जहाँ वो था उसका मोहल्ला,. हट्टा-कट्टा मुस्टंडा सा था जवान. दंड पेलने वाला था वो पहलवान,. 19 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. रीती-र&#2...कैस...

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जज़्बात...दिल से दिल तक: April 2013

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जज़्बात.दिल से दिल तक. अप्रैल 10, 2013. तेरे देखते-देखते दुनिया कहाँ से कहाँ निकल गई. एक तू है जो अभी तक ख्यालों में कहीं खो रहा है,. देखना इन्हीं से होंगे एक रोज़ खुद तेरे पाँव घायल. आज जिन काँटों को तू दूसरों के लिए बो रहा है,. शायद यही है जिंदगी की हकीक़त ए! मेरे खुदा. मौजों में है सफीना और माँझी गाफ़िल सो रहा है,. बख्श देगा शायद क़यामत के रोज़ ख़ुदा उसको. करके तौबा अब अमाल से गुनाहों को धो रहा है,. हर शख्स अपना सलीब अपनी पीठ पर खुद ढो रहा है,. 43 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. अप्रैल 02, 2013. लेबल...

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मेरी कलम मेरे जज़्बात: तल्खियाँ ( gazal)

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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Wednesday, 3 June 2015. तल्खियाँ ( gazal). हालात अक्सर ज़ुबानों पर, तल्खियाँ रख देते हैं,. रेशमी से अहसास पर ये, चिंगारियां रख देते हैं . मुश्किल नहीं इस कदर यूँ तो, ये बयाँ जज़्बात का. ये लफ्ज़ आ बीच में क्यों, दुश्वारियाँ रख देते हैं. मासूमियत छीन कर ज़ालिम, दाँव ये ज़माने के. इक बार फिर जी लें जी भर, बचपन का वो भोलापना. सुशील कुमार जोशी. 3 June 2015 at 17:57. खुद्दारियाँ. बहुत सुंदर! 4 June 2015 at 00:41. दि...

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मेरी कलम मेरे जज़्बात: July 2014

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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Sunday, 20 July 2014. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. मन में मेरे संतोष यही,. विनती अपने आकुल हिय की,. तुम तक मैंने पहुँचाई सही. कुछ पीड़ा कुछ संताप लिखे,. कुछ प्रीत भरे उदगार लिखे. हर अक्षर में जिसके मैं थी,. पाती तुम तक पहुँचाई वही. संदेश नहीं, न संकेत कोई ,. न आस मिलन की लेश कोई ,. सुन एक पुकार आओगे तुम,. मन में प्रतिपल विशवास यही. न, विरहन न कहना मुझको ,. मानव प्रभु स...सजा स&#23...

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मिर्ज़ा ग़ालिब: June 2013

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मिर्ज़ा ग़ालिब. Click here for Myspace Layouts. जून 21, 2013. यूँ होता तो क्या होता. न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता. डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता,. हुआ जब गम से यूँ बेहिस, तो गम क्या सर के कटने का. न होता गर जुदा तन से, तो जानू (घुटने) पर धरा होता,. हुई मुद्दत के मर गया 'ग़ालिब' पर याद आता है. वो हर एक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता,. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 5 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. लेबल: गज़लें. नई पोस्ट. 160; त&#236...

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क़लम का सिपाही: March 2013

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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. मार्च 05, 2013. प्रेम एक भावनागत विषय है, भावना ही से उसका पोषण होता है, भावना ही से लुप्त हो जाता है । प्रेम भौतिक वस्तु नहीं है ।". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 14 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इमरान अंसारी. क्षणभंगुर.

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क़लम का सिपाही: March 2011

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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. मार्च 25, 2011. आशा - निराशा. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 6 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. मार्च 04, 2011. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 8 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. क्षणभंगुर. जीवन से...

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क़लम का सिपाही: July 2011

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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. जुलाई 16, 2011. मानव ह्रदय. मानव ह्रदय एक रहस्यमय वस्तु है, कभी तो वह लाखों की ओर आँख उठाकर नहीं देखता और कभी कौड़ियों पर फिसल जाता है ". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इमरान अंसारी. क्षणभंगुर.

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क़लम का सिपाही: April 2011

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क़लम का सिपाही. Click here for Myspace Layouts. अप्रैल 19, 2011. परीक्षा-अग्नि. दुःख की अवस्था ही वह परीक्षा-अग्नि है, जो मनुष्य का असली चेहरा सामने ला देती है ". मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अनमोल मोती - मुँशी प्रेमचंद. अप्रैल 05, 2011. मुँशी प्रेमचंद. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 5 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. क्षणभंगुर. जीवन स&#23...

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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): June 2012

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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Monday, June 4, 2012. कभी भीड़ से. कभी अकेले से. कभी धुंधले से. कभी दूर से. कभी करीब से. कभी अजनबी से. कभी अपने से. मिलते,बिछड़ते चेहरे. आँखों से ओझल हुए. बहुत चेहरे. कुछ अपने से ! शोभा ). Labels: कविता. तुम प्राणवायु हो. शीतल छाया हो. लाल फूलों से सजे. तुम बहुत लुभावने हो. और 'मैं'. मर्यादा से बंधी. वो पवित्र धागा हूँ. जो किस्तों में कई बार बाँधी जाती हूँ. कभी बरगद,कभी पीपल के तने से. मैं बंधी हूँ. परम्पराओं की मजबूत डोर से. मैं एक अनजाने. पर छा जाती. तुम संग. अस्त&#2367...

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खलील जिब्रान: July 2013

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खलील जिब्रान. Click here for Myspace Layouts. जुलाई 18, 2013. वास्तविकता. दूसरे व्यक्ति की वास्तविकता उसमें नहीं है, जो कुछ वह तुम पर व्यक्त करता है, बल्कि उसमें है जो कुछ वह तुम पर व्यक्त नहीं कर पाता।. खलील जिब्रान. प्रस्तुतकर्ता. इमरान अंसारी. 6 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: खलील जिब्रान - अनमोल वचन. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). खलील जिब्रान. इमरान अंसारी. संसार क&#237...एक द&#236...

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खलील जिब्रान: September 2012

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खलील जिब्रान. Click here for Myspace Layouts. सितंबर 15, 2012. लोमड़ी. एक लोमड़ी ने सुबह के वक़्त अपनी छाया पर दृष्टि डाली और कहा, "मुझे आज नाश्ते के लिए एक ऊँट मिलना ही चाहिए।". खलील जिब्रान. प्रस्तुतकर्ता इमरान अंसारी. 11 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: खलील जिब्रान - छोटी कहानियाँ. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). खलील जिब्रान. मेरे बारे में. इमरान अंसारी. संसार के श&#...एक दिन स&...

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मेरी दुनिया. मेरे जज़्बात. Duniyaa Ke Liye To Bahut Kuchh Kiya Is Duniyaa Mein Aakar. Kyun Na Ab Duniyaa Ke Bahaane Khud Ke Liye Kuch Kiya Jaaye. Jazbaat.in में आपका स्वागत है. नए जोड़े गए पेज वेबसाइट पर- १. एIntuition- KNOWING BEYOND LOGIC. २ The Negativity Bias- Resist It. ३ एक मुट्ठी आसमान चाहिए. ४ Innocence is power. ६ मेरा धार्मिक नज़रिया. ७ Ideas to Develop Your Mind. ८ कर्मयोग- श्रीमद्‍भगवद्‍गीता. हमें इ-मेल द्वारा फोल्लोव करें! Friday, 13 February 2015. 46 कमेंट्स. लेबल्स: आसमान. रंग बदलत&#23...

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Hindi True Love Status. Two Line Hindi Status. Two Lines Sad shayari. December 14, 2015. December 10, 2015. Love Knows No Boundaries. It Is A Wonder How People Still Draw A List Of Criteria When It Comes To Picking Their Dream Match. If You Love Someone. December 12, 2015. If You Love Someone, Put Their Name In A Circle, Instead Of A Heart, Because Hearts Can Break, But Circles Go On Forever. December 11, 2015. December 10, 2015. For my Eternal (Today love letter). December 10, 2015. December 10, 2015.

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List of beneficiaries of loans relief valuing Rs 60 billion in Musharraf regime made public. My name is Abbas Mushtaq and i live in Islamabad. If you want to share any information with jazba then feel free to write me at jazbablog@gmail.com. English of raja riaz. Raja riaz english skill. English Skills of Raja Riaz. Saturday, March 20, 2010 1 comments. Video may take few seconds to upload. Why Pakistan has not progressed. Friday, March 19, 2010 1 comments. History of NRO and the its beneficiaries. The li...

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