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यू.के. से प्राण शर्मा की दो लघुकथाएं | मंथन
https://mahavir.wordpress.com/2010/06/08/यू-के-से-प्राण-शर्मा-की-दो-ल-4
य क स प र ण शर म क द लघ कथ ए. 8216;र ज ‘. 8211; प र ण शर म. धर मप ल न ट ल फ न क च ग उठ कर सतप ल क फ न न बर म ल य .फ न क ल इन अ ग ज थ .” पत नह क ल ग फ न पर क य - क य ब त करत ह? घ ट ह लग द त ह .क स और क ब तकरन क म क़ ह नह द त ह .” ख झ कर उसन फ न पर च ग पटक द य . कमर म इधर-उधर चक कर लग कर धर मप ल न फ र सतप ल क फ न क य .द सर ओर स फ न क घ ट बज .धर मप ल क च हर पर सब र क प य ल छलक . 8221; क न? 8220;द सर और स सतप ल क आव ज़ थ . 8221; क स र ज क उगल द य म न? 8221; क य त म एक र ज क अपन द ल म नह रख सकत थ? धर मप ल क य द...
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अमेरिका से देवी नागरानी की दो लघुकथाएं | मंथन
https://mahavir.wordpress.com/2010/06/23/अमेरिका-से-देवी-नागरानी-क-3
अम र क स द व न गर न क द लघ कथ ए. 8220;र म यह ठ ड म क य ब ठ ह? अ दर घर म ज ओ” गल क न क कड़ स ग ज रत ह ए द ख त उसक प स चल गय . र म म र ऑफ स क चपर स ह . 8220;स हब अ दर ब ट -ब ट क द स त आय ह ए ह . ग न -बज न श र-शर ब मच ह आ ह . सब झ म-ग रह ह . इसल ए म ब हर….” कहकर उसन ठ ड स स ल . 8220;त म ह र उम र क उन ह क ई फ़ क र नह , र त क ब रह बज रह ह और यह बर फ ल ठण ड! 8221; कहकर वह बच च क तरह ब लख पड . म न उसक क ध थपथप त ह ए न शब द र हत द न क असफल प रय स क य और स च म ड ब थ क अगर म उस ह लत म ह त त! 8220;नह म ल क! अगर आपक ज...
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भारत से सुभाष नीरव की दो लघु कथाएं | मंथन
https://mahavir.wordpress.com/2010/06/15/भारत-से-सुभाष-नीरव-की-दो-लघ
भ रत स स भ ष न रव क द लघ कथ ए. ल खक पर चय. ह द म लघ कथ ल खन क स थ-स थ, प ज ब -ह द लध कथ ओ क श र ष ठ अन व द ह त ”म त शरबत द व स म त प रस क र 1992” तथ ”म च प रस क र, 2000” स सम म न त. सम प रत :. भ रत सरक र क प त पर वहन व भ ग म अन भ ग अध क र (प रश सन). सम पर क :. 372, ट ईप-4, लक ष म ब ई नगर, नई द ल ल -110023. 09810534373, 011-24104912(न व स). एक और कस ब. म न यर न जल द स प ग अपन गल स न च उत र और ख ल ग ल स म ज पर रख ब ठक म आ गय. स फ पर ब ठ व यक त उन ह द खत ह ह थ ज ड़कर उठ खड़ ह आ. 8221;र मद न त म? 8221;और वह भ ...
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साखी: June 2012
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अभियान के साथी. गुरुवार, 28 जून 2012. अशोक रावत की गज़लें 8 जुलाई को. अशोक रावत की गज़लें. साखी के अगले अंक में. रविवार 8 जुलाई को।. कविता, उसके स्वरुप, जीवन में उसकी जरूरत पर कवि की टिप्पणी के साथ।. प्रस्तुतकर्ता. 4 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शुक्रवार, 22 जून 2012. जाइबे को जगह नहीं, रहिबै को नहिं ठौर. कबीर यहु घर प्रेम का,. खाला का घर नाहिं. शीश उतारे हाथि करि,. कर सकते यहाँ. और आ जाना. जाओ,...
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साखी: July 2011
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अभियान के साथी. सोमवार, 18 जुलाई 2011. रचती तो कविता है कवि को. प्रकाश उपाध्याय. व्यंग्य यात्रा के संपादक डा प्रेम जनमेजय. वरिष्ठ कवि उमेश सिंह चौहान. की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही. मेरे अनुज और कवि राजेश उत्साही. सद्भावना दर्पण के संपादक और लेखक गिरीश पंकज. जी ने कहा, हरे के सोच की उड़ान परिंदों के पर कतरने वाली है. वरिष्ठ कवि उमेश सिंह चौहान. प्रख्यात व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय. ने कहा, मन को छू गईं ये पंक्तियाँ! सरल, सहज और संवेदनशील! अ-कृत्रिम! लेखक जाकिर अली. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. 1 दिन पहले. कित...
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साखी: June 2011
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अभियान के साथी. शनिवार, 18 जून 2011. हरे प्रकाश उपाध्याय की चार कविताएँ. हरे प्रकाश उपाध्याय. को साखी. मुझे मेल कर दीं मैंने एक और रचना उनके संकलन से उठा ली, जो बदहवास समाज के बारे में है प्रस्तुत है हरे प्रकाश उपाध्याय की चार कविताएँ. माघ में गिरना. कविता मिली. बहुत दिनों के बाद. सावन के बाद माघ में. एक पेड़ के नीचे. पत्ते बुहार रही थी. चूल्हा जलाना था उसे शायद. हमने उलाहने नहीं दिए. उसने देखा एक नजर मेरी तरफ. उसे देखता रहा भौंचक. मैं रचता क्या उसे. हम देर तक देखते रहे. जिनकी आवाज न आए. जिन चì...
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साखी: September 2011
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अभियान के साथी. शनिवार, 24 सितंबर 2011. सर्वत जमाल की गजलें. सर्वत जमाल. एक एक जहन पर वही सवाल है. लहू लहू में आज फिर उबाल है. इमारतों में बसने वाले बस. मगर वो जिसके हाथ में कुदाल है? उजाले बाँटने की धुन तो आजकल. थकन से चूर चूर है, निढाल है. तरक्कियां तुम्हारे पास हैं तो हैं. हमारे पास भूख है, अकाल है. कलम का सौदा कीजिये, न चूकिए. सुना है कीमतों में फिर उछाल है. गरीब मिट गये तो ठीक होगा सब. अमीरी इस विचार पर निहाल है. हम आदमी हैं, यह भी इक कमाल है. एक ही आसमान सदियों से. खरा फिर भी ख...कई सच तो ...
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साखी: August 2012
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अभियान के साथी. शुक्रवार, 24 अगस्त 2012. लखनऊ से सितंबर में नयी पत्रिका समकालीन सरोकार. प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शनिवार, 18 अगस्त 2012. ओम प्रकाश यती की ग़ज़लें. ओम प्रकाश यती. ओम प्रकाश यती. घर जलेंगे उनसे इक दिन तीलियों को क्या पता. है नज़र उन पर किसी की बस्तियों को क्या पता. हाल क्या है? ठीक है, जब भी मिले इतना हुआ. जहाँ पर ज़िन्दगी की, य...उसी मन्दिर स...रूप क...
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साखी: समकालीन सरोकार का प्रवेशांक पाठकों के हाथ में
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अभियान के साथी. शनिवार, 15 सितंबर 2012. समकालीन सरोकार का प्रवेशांक पाठकों के हाथ में. प्रधान संपादक - सुभाष राय. संपादक - हरे प्रकाश उपाध्याय. फोन संपर्क- 9455081894, 8756219902. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. 1 टिप्पणी:. 23 नवंबर 2012 को 4:16 pm. बधाई , पत्रिका के लिए।. उत्तर दें. टिप्पणी जोड़ें. अधिक लोड करें. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. युग-जमाना. समय के साक्षी बनें. मेरी ब्लॉग सूची. 1 दिन पहले. 5 दिन पहले. सुमन ज...
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साखी: December 2011
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अभियान के साथी. शनिवार, 31 दिसंबर 2011. नसीम साकेती की रचनाएँ. अपने आग भरे अल्फाज से ये सवाल उठाने वाले नसीम साकेती. १ पत्थरों का शहर. पहले आप.पहले आप. जेहन में उभरते ही. बिजली की तरह कौंध जाता है. शहर का नाम. जो कभी जाना जाता था. तहजीब और तमद्दुन के लिए. नजाकत और नफासत के लिए. प्यार और मुहब्बत के लिए. अम्न और शांति के लिए. भाई चारे के लिए. इंसानियत के लिए. सबसे बड़ी बात इज्जत के लिए. लेकिन आज? जिस शहर में खड़ा हूँ. ये तो वो शहर नहीं है. पहले आप.पहले आप के बजाय. मुझ पर डाल दे हाथ. क्या हुआ. तुम क...