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शब्दसृजन | shabdsrijan.blogspot.com Reviews
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रंग-तरंग: गुरमीत बेदी: परिचय
http://gurmitbedi.blogspot.com/2011/01/blog-post_20.html
गुरमीत बेदी. पर्वत राग' पत्रिका. प्रकाशित संग्रह. मेरे बारे में. फोटो गैलरी. ब्लॉग परिकल्पना. इस ब्लॉग को देखने के लिए मोज़िला फायरफॉक्स. का इस्तेमाल सर्वोत्तम है।. गुरमीत बेदी: परिचय. गुरमीत बेदी. 21 सितम्बर, 1963. शिक्षा :. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातक तथा पत्रकारिता व. जनसंचार मे स्नातकोतर।. 1983 से 1988 तक जालन्धर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'वीर प्रताप' में. अलावा तीन उपन्यास धारावाहिक रूप से प्रकाशित। एक. पुरस्कार:. संस्था का व्यंग्य. द्वारा सम्मानित। ...विद्यार्थि...एमफिल अनि...जिल...
रंग-तरंग: ओ जी जांच तो होनी ही चाहिए!
http://gurmitbedi.blogspot.com/2011/01/blog-post_1084.html
गुरमीत बेदी. पर्वत राग' पत्रिका. प्रकाशित संग्रह. मेरे बारे में. फोटो गैलरी. ब्लॉग परिकल्पना. इस ब्लॉग को देखने के लिए मोज़िला फायरफॉक्स. का इस्तेमाल सर्वोत्तम है।. ओ जी जांच तो होनी ही चाहिए! हैं या फिर स्वच्छ छवि के सभासदों के बीच बैठकर अस्वच्छ छवि वाले माननीयगण क्या महसूस करते हैं और इन छवियों के संगम मे...क्या उनमें देश का गौरव बढ़ाने की कपैसिटी नहीं है? हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़ सकते हैं? नहीं न! तो फिर लीडरों की क्वालिटियों...जब चुनावों और दंगों म...गरीब के कटोरो&#...और जो लेख...ऑनर क...
वैतागवाड़ी: June 2012
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वैतागवाड़ी. Thursday, June 28, 2012. निशास्वर. चट्टान की चोट को कितना भी दूर खड़े होकर देखो, कंकड़ की चोट जैसी नहीं दिखेगी. ध्यान रखना कि. छल जिन लोगों का बल है, उनकी पेशानी पर ठंडे पानी की पट्टियां रखना. वहां मेरे नाम के बल बुख़ार की तरह पड़ते हैं. जबकि दिन मैंने अतीत में जाकर नहीं गुज़ारा था. किसी ने पूछा था, तुम गुनहगार हो, जो तुम्हें नींद नहीं आती? चौंधियाना, दृश्य को भंग करना है. आत्मा इस देह के भीतर उतनी ही अजनबी है. Links to this post. पेसोआ का संदूक़. Tuesday, June 12, 2012. दोस्...मात...
सार्थक सृजन: June 2009
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सार्थक सृजन. सारगर्भित रचनाओं का सार्थक संचयन. रविवार, 21 जून 2009. सार्थक सृजन – जून 2009(प्रथम अंक). संपादकीय. संपादक- “सार्थक सृजन”. 21 जून 2009. प्रस्तुतकर्ता. सुरेश यादव. 18 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: संपादकीय. साक्षात्कार. संपादक-“सार्थक सृजन”. 8220;दुनिया मुझे भूल ही जाए तो अच्छा है”. विष्णु प्रभाकर. 8220;फिर उस मकान का क्या हुआ? 8220;यही तो वह मकान, जिसमें हम लोग बैठे हैं? 8220;मगर कैसे? 8220;कैसे निकाला हमने उन्हें? 8216;‘क्यों बेवकूफ समझे...शर्म नहीं आती? सुभाष नì...तीन...
सार्थक सृजन: सार्थक सृजन ( मार्च 2010 )
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सार्थक सृजन. सारगर्भित रचनाओं का सार्थक संचयन. रविवार, 7 मार्च 2010. सार्थक सृजन ( मार्च 2010 ). सम्पादकीय. इस बार के दोनों ही रचनाकार चर्चित और वरिष्ठ हैं, बहुआयामी रचना-संसार का सृजन इन रचनाकारों की पहचान है।. सुरेश यादव. सम्पादक – ‘सार्थक सृजन’. प्रस्तुतकर्ता. सुरेश यादव. लेबल: सम्पादकीय. 5 टिप्पणियां:. जयकृष्ण राय तुषार. ने कहा…. 8 मई 2010 को 3:02 pm. जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar. ने कहा…. सुरेश जी,. 2 नवंबर 2010 को 9:24 pm. खुशदीप सहगल. ने कहा…. जय हिंद. 1 जनवरी 2011 को 9:36 am. एक टिप...
आज की ग़ज़ल: 08/29/13
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Thursday, August 29, 2013. सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी की एक ग़ज़ल. तमाम उम्र मेरी ज़िंदगी से कुछ न हुआ. हुआ अगर भी तो मेरी ख़ुशी से कुछ न हुआ. कई थे लोग किनारों से देखने वाले. मगर मैं डूब गया था, किसी से कुछ न हुआ. हमें ये फ़िक्र के मिट्टी के हैं मकां अपने. उन्हें ये रंज कि बहती नदी से कुछ न हुआ. रहे वो क़ैद किसी ग़ैर के ख़यालों में. यही वजह कि मेरी बेरुख़ी से कुछ न हुआ. लगी जो आग तो सोचा उदास जंगल ने. हवा के साथ रही दोस्ती से कुछ न हुआ. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). अब तक का सफ़र. पुरुष...पूर...
आज की ग़ज़ल: 09/19/13
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Thursday, September 19, 2013. फ़ानी जोधपुरी. रात की बस्ती बसी है घर चलो. तीरगी ही तीरगी है घर चलो. क्या भरोसा कोई पत्थर आ लगे. जिस्म पे शीशागरी है घर चलो. हू-ब-हू बेवा की उजड़ी मांग सी. ये गली सूनी पड़ी है घर चलो. तू ने जो बस्ती में भेजी थी सदा. लाश उसकी ये पड़ी है घर चलो. क्या करोगे सामना हालत का. जान तो अटकी हुई है घर चलो. कल की छोड़ो कल यहाँ पे अम्न था. अब फ़िज़ा बिगड़ी हुई है घर चलो. तुम ख़ुदा तो हो नहीं इन्सान हो. घर की बत्ती जल रही है घर चलो. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). पुरु...
आज की ग़ज़ल: 10/22/14
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Wednesday, October 22, 2014. दीपावली की शुभकामनाएँ. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). अब तक का सफ़र. 8217;साग़र’ पालमपुरी. अनमोल शुक्ल और वीरेन्द्र जैन. अमित रंजन गोरखपुरी की ग़ज़ल. अहमद अली बर्की की ग़ज़लें. आरपी. शर्मा महरिष की तीन ग़ज़लें. कँवल ज़िआई. कवि कुलवंत जी की एक ग़ज़ल. कौन चला बनवास रे जोगी. ग़ज़ल के बारे में. चंद्रभान भारद्वाज- परिचय और तीन ग़ज़लें. जगदीश रावतानी. ज़हीर कुरैशी जी की ग़ज़लें. डा. दरवेश भारती की एक ग़ज़ल. तरही ग़ज़लें. तलअत इरफ़ानी. तौसीफ़ तबस्सुम. धीरज आमेटा. सतपाल ख&#...
आज की ग़ज़ल: 04/23/14
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Wednesday, April 23, 2014. दानिश भारती. पाँव जब भी इधर-उधर रखना. अपने दिल में ख़ुदा का डर रखना. रास्तों पर कड़ी नज़र रखना. हर क़दम इक नया सफ़र रखना. वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे. अपने हाथों में कुछ हुनर रखना. मंज़िलों की अगर तमन्ना है. मुश्किलों को भी हमसफ़र रखना. खौफ़, रहज़न का तो बजा, लेकिन. रहनुमा पर भी कुछ नज़र रखना. सख्त लम्हों में काम आएँगे. आँसुओं को सँभाल कर रखना. चुप रहा मैं, तो लफ़्ज़ बोलेंगे. बंदिशें मुझ पे, सोच कर रखना. अपना किरदार मोतबर रखना. सतपाल ख़याल. Subscribe to: Posts (Atom). अब तक का सफ़र.
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My Nurturing Solutions
Pregnancy and Newborn Coach. Shabd Simran Adeniji, BA, BM, MPH. Midwife, Childbirth Educator, Early Childhood Parent Educator, Pregnancy/Postpartum Consultant. I originally trained as a nurse-midwife in New Zealand where I lived for 9 years before moving to Santa Fe in 2009 with my husband. I have supported hundreds of families in both home and hospital births in my midwifery practice and simply love working with new parents. My Nurturing Solutions - Site Design by AKANNI.
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જરા અમથી વાત (2)
જરા અમથી વાત (2). અધૂરી લાગણીઓની નદીએ બદલેલું એક વહેણ . એ જ પ્રીતિ એ જ વાતો . Friday, September 25, 2015. દિલ તૂટ્યું ને. ઘા હજી તાજો છે ,. યાદો વિસારું? નથી જોઈતી ,. તારા વગર ભલે ,. દુનિયા મળે . કાંટા વાગે છે ,. ફૂલ મેળવવાને. દર્દ સહીએ . રાત કહે છે ,. રાત બેઠી સાંભળે ,. અંધારી વાતો . નથી બોલવું ,. પણ અબોલા મને. પચતા નથી . પેલો ચંદ્ર છે. તારા ચહેરા જેવો? તું એના જેવી? प्रस्तुतकर्ता. Friday, September 25, 2015. लेबल: હાઈકુ. Sunday, September 13, 2015. નથી કોઈ ઇજન મારા તરફથી ,. Sunday, September 13, 2015.
The word is not flat
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Fix black screen problem in Samsung Galaxy S4. 11 Main characters of a big fat Punjabi wedding. A Beginner’s guide to working in a Startup. Feminism is dead. Long live feminism! Workaholic vs. Work-a-holic, a guide. Top 5 Best Blogging Platforms You Should Use. My Clichéd Inspiration: My mother! Why I love the flat hierarchy of startups. Next Nexus might come from Two different Manufacturers. Samsung Galaxy S6 Edge : A Real Curve from Samsung Corp. Xiaomi Redmi 2 full review, specifications and hands on.
शब्द सुधा
शब्द सुधा. Saturday, July 4, 2015. हिन्दी चेतना का जुलाई-सितम्बर 2015 अंक (वर्ष : 17, अंक : 67). Posted by डॉ. सुधा ओम ढींगरा. Saturday, July 04, 2015. Hindi chetna color july 2015. मित्रो, संरक्षक एवं प्रमुख सम्पादक श्याम त्रिपाठी , तथा सम्पादक डॉ. सुधा ओम ढींगरा Sudha Om Dhingra. 2404; कहानियाँ: प्रश्न-कुंडली : गीताश्री Geeta Shree. काँच की दीवार : नीलम मलकानिया Neelam Malkania. केस नम्बर पाँच सौ सोलह : माधव नागदा Madhav Nagda. ख़ास आप सबके लिए! अनिता ललित Anita Lalit. दस प्रतिनि...गीतो...
शस्वरं
ब्लॉग मित्र मंडली. मन गुरु में ऐसा रमा, हरि की रही न चाह. श्री गुरुवे नमः. ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।. द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ॥. एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।. भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥. श्रीगुरुगीता श्लोक ५२. स्कंद पुराण. जो ब्रह्मानंदस्वरूप हैं. परम सुख देनेवाले हैं. जो केवल ज्ञानस्वरूप हैं. शीत-उष्ण आदि द्वन्द्वों से रहित हैं. आकाश के समान सूक्ष्म और सर्वव्यापक हैं. एक हैं. नित्य हैं. मलरहित हैं. अचल हैं. हुई सरल जगत की राह! RAJENDRA SWARNKA...