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जीवन धारा: April 2009
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जीवन धारा. Wednesday, April 29, 2009. एक सपने के टूट जाने से जिंदगी ख़त्म नही हो जाती . जीवन एक संगिनी की तरह है । हमेशा आपके साथ । राह में हर मोड़ पर कदम मिलाते हुए ।. कुछ ख़त्म हो गया तो क्या हुआ । बहुत कुछ अभी बाकी है , मेरे दोस्त .कहाँ खो गए ।. एक सपने के टूट जाने से जिंदगी ख़त्म नही हो जाती । बहुत से सपने अभी भी बुने. जा सकते है । टूटने दो यार एक सपने को .वह टूटने के लिए ही था ।. जम कर करो ,इन्तजार ।. Posted by mark rai. Links to this post. Labels: जिंदगी. Tuesday, April 14, 2009. साथी . खुल&#...
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जीवन धारा: October 2009
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जीवन धारा. Saturday, October 24, 2009. छठ पूजा और बचपन. Posted by mark rai. Links to this post. Labels: छठ पूजा. Subscribe to: Posts (Atom). छठ पूजा और बचपन. स्वप्न मेरे. मेरी भावनायें. पूरी उम्र समझौते में. किस्सा-कहानी. तुलसी तहाँ न जाइये…. अपनी बात. पुराने कालखंड की नई कहानियां: प्रेम गली अति सांकरी. जीवन के रंग . Bing Advertising Free Credit $112. ये दुनिया है. मोबाइल ऑपरेटर और आप? अपनी अपनी डगर. फेफड़ों को ३ दिन में साफ़ करने के उपाय. हरकीरत ' हीर'. तू सिर्फ इंसान है. संवेदनहीन. छठ पूजा.
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जीवन धारा: February 2011
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जीवन धारा. Wednesday, February 16, 2011. सबकुछ याद है . मुझे अपने घर का आँगन व सामने की गली याद आती है ,. जहाँ कभी , किसी जमाने में मेले लगते थे ।. वो खिलौने याद आते है ,जो कभी बिका करते थे ।. छोटा सा घर , पर बहुत खुबसूरत ,. शाम का समय और छत पर टहलना ,. सबकुछ याद है ।. कुछ मिटटी और कुछ ईंट की वो इमारत ,. वो रास्ते जिनपर कभी दौडा करते थे ,. सबकुछ याद है ।. गंवई गाँव के लोग कितने भले लगते थे ,. सीधा सपाट जीवन , कही मिलावट नही ,. सबकुछ याद है ।. गाय की दही न सही , मट्ठे. Posted by mark rai. धन आनंद क&...
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जीवन धारा: July 2009
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जीवन धारा. Saturday, July 4, 2009. हमारा समाज अब आखिरी साँसे ले रहा है. Posted by mark rai. Links to this post. Wednesday, July 1, 2009. लड्डू . लड्डू ! पहले सोचता था कैसा नाम है .लड्डू! लड्डू ने तो मुझे बिल्कुल बदल दिया है । अब तो सपनो में भी . मन ही मन कहता हूँ . मेरे लड्डू तू तो बदल गया रे .लड्डू शब्द सुनने के लिए बेचैन रहता हूँ .कास! जिंदगी में ऐसे ही मिठास भरते रहना . Posted by mark rai. Links to this post. Labels: जिंदगी. Subscribe to: Posts (Atom). लड्डू . स्वप्न मेरे. अपनी बात. छठ पूजा.
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जीवन धारा: जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है....
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जीवन धारा. Thursday, September 27, 2012. जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है. जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है. Posted by mark rai. Subscribe to: Post Comments (Atom). जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम . स्वप्न मेरे. मेरी भावनायें. पूरी उम्र समझौते में. किस्सा-कहानी. तुलसी तहाँ न जाइये…. अपनी बात. जीवन के रंग . Bing Advertising Free Credit $112. ये दुनिया है. मोबाइल ऑपरेटर और आप? अपनी अपनी डगर. हरकीरत ' हीर'.
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जीवन धारा: October 2011
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जीवन धारा. Tuesday, October 25, 2011. हंसों ना! हंसों ना! जीवन धारा :मार्कण्डेय रायका ब्लॉग-नवभारत टाइम्स. Posted by mark rai. Links to this post. Saturday, October 15, 2011. आप करप्ट पर्सनाल्टी है क्या! मतलब बिमारी और एक बेहूदा मजाक! किसी सज्जन के मुंह से सुना,. सज्जन उपरी गिलास के थे ,सो उन्हें निचली गिलास. के सभी लोग बीमार दिखे! उनकी फिलासफी के मुताबिक़. ये लोग हाईली अनसिविलाइज्द पैदा होते है! न खाने का ढंग ,न पहनने ओढ़ने का ढंग. मेरे प्रतिवाद करने पर भड़क गए ,. Posted by mark rai. Links to this post.
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जीवन धारा: September 2012
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जीवन धारा. Thursday, September 27, 2012. जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है. जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है. Posted by mark rai. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). जिज्ञासा(JIGYASA) : लताजी ने हमें संगीत के माध्यम . स्वप्न मेरे. मेरी भावनायें. पूरी उम्र समझौते में. किस्सा-कहानी. तुलसी तहाँ न जाइये…. अपनी बात. जीवन के रंग . Bing Advertising Free Credit $112. ये दुनिया है. मोबाइल ऑपरेटर और आप? अपनी अपनी डगर.
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कुछ कहना चाहता हूँ: ट्रेन और ज़िंदगी
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कुछ कहना चाहता हूँ. ट्रेन और ज़िंदगी. ट्रेन की खिड़की से एक-एक करके पीछे छूटते स्टेशनों को देखकर वो सोच रहा था कि ज़िंदगी और ट्रेन में कितना कुछ एक जैसा है। ज़ि. गाड़ी छूटने के वक़्त में अभी लगभग चार घण्टे का समय बाकी था।. यहां से कहां जायेंगे" - लड़की ने पूछा।. कहीं नहीं.थोड़ी देर यहीं टहलते हैं फिर स्टेशन चलेंगे" - उसने कहा।. हमें अब चलना चाहिए. उसने कहा।. प्रस्तुतकर्ता. अमृत पाल सिंह. लेबल: ज़िंदगी. July 16, 2011 at 3:15 PM. July 16, 2011 at 10:55 PM. शुभकामनाएं. July 17, 2011 at 10:03 PM. आजकल नई कह&...
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कुछ कहना चाहता हूँ: May 2010
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कुछ कहना चाहता हूँ. हमारे रिश्तो के बीच का " मैं ". रात के अंधेरे में घास के शीर्ष पर चमकती उस ओस की बूँद को समर्पित जिसने मुझे जीवन का आईना दिखाया.तुम्हारा शुक्रिया।). तेरे और मेरे बीच. इस " मैं " का आना मुझे अखरता है. बहुत अखरता है।. मैं ". ऐसा शब्द. जिसके आने से रिश्ते अपने नहीं लगते. एक अलगाव सा महसूस होता है।. इस " मैं " के दखल से. ऐसा महसूस होता है. जैसे कोई तीसरा आ जाता है हमारे दरमियाँ।. कभी तुम्हारा यह कहना कि. मैं यह नहीं चाहती हूँ ". हमारे बीच में. प्रस्तुतकर्ता. Subscribe to: Posts (Atom).